സ്തുതിമാലാ 5
സ്തുതിമാലാ - 5
പരമാനന്ദദാതാവ്
മാര്ഗം ഗംഭീരവീര്യദം,
നടക്കാൻ പൂതി മാത്രം ഹി
ആവശ്യക്തം അതോർക്കുക.
किमत्थं करोम्येतं
भाषाय विकतं बहुं।
आनन्दाय करिष्षामि
किं न कामं मनोहरं।।
मेधादेवीं सरस्वतीं
वन्देहं विद्यावतीं।
पण्डितकारिकं ज्येष्टं
प्रणमामि शिरसा सदा।।
वहन्ती सरला एसा
अज्झयने अतिमोदिका।
सब्बदेसे सुमञ्ञिता
माघधी पालिभासा हि।।
देखे है मैंने बहुत
पर्वत लोकविश्रुत।
सबसे सुंदर मानित पर
वेङ्कटेशगिरि निस्संशय।।
ऑखों से गिन नहीं सकता
आते हैं हर दिन कितने ।
तुम्हारे चरण देखने
सर्ववरदायक देवा!
लिंगजातियों के परे
सर्वदा सर्वस्नेहित।
सच्चाई का स्वरूप तुम ही
वेंकटेश हे नमो नमः।।
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